Sahitya Sagar "पाठ – २ कुंडलियां" All Workbook Answers



Sahitya Sagar "पाठ – २ कुंडलियां" All Workbook Answers



1. लाठी में गुण ...................... हाथ महँ लीजै लाठी ।।

क) इस कुंडलिया में गिरिधर कविराए ने मुसाफिर अर्थात यात्री को अपने साथ लाठी रखने की सलाह दी है क्योंकि यह हमारे शरीर को गड्ढा, नदी व नाले से सुरक्षा करती है। यदि कोई कुत्ता मार्ग में बाधा बन रहा हो अथवा हमारे ऊपर, तो उसे लाठी से मारकर भगाया जा सकता है। मार्ग में यदि दुश्मन, लुटेरा या डाकू मिल जाए तो लाठी के सहारे हम अपनी रक्षा कर सकते हैं। अतः लाठी सभी सावधानियों को दूर करने में सहायक है।

ख) गिरिधर कविराए जी कह रहे हैं की कुत्ते, दुश्मन और दावागीर तीनों से निपटने में लाठी सहायक होती है। कोई कुत्ता यदि हमारे मार्ग का बाधक बन रहा हो अथवा हमारे ऊपर झपटे, तो उसे लाठी से मारकर भगाया जा सकता है। यदि रास्ते में कोई दुश्मन, चोर, डाकू या लुटेरा मिल जाए तो लाठी से हम उसका सामना कर सकते है और अपनी रक्षा कर सकते हैं। अतः मार्ग के सभी व्यवधान ओ को दूर करने में लाठी बहुत ही सहायक होती है।

ग) कवि सब हथियार छोड़कर लाठी लेने की बात इसलिए कर रहे हैं क्योंकि अन्य हथियारों से लाठी अधिक लाभकारी होती है। तत्कालीन हथियार जैसे तलवार, चाकू, बंदूक आदि तो केवल लड़ाई में काम आ सकते हैं लेकिन लाठी तो मार्ग के सभी व्यवधानों अर्थात नाला, गड्ढा, नदी, कुत्ता, दुश्मन आदि को दूर करने में सहायक होती है।

घ) प्रस्तुत कुंडलियां के लेखक गिरिधर कविराय जी हैं। इन्होंने अपने कुंडलियों के माध्यम से नीति, वैराग्य, तथा जीवन के व्यवहारिक मूल्य से जनमानस को अवगत कराया है। इन्होंने बिल्कुल सहज, सरल, व्यवहारिक तथा सीधी-सादी भाषा में नीति-संबंधित कुंडलियां की रचना की है। लाठी तथा कंबल की गुणग्रहकता, समय के अनुसार कार्य का महत्व स्थान का महत्व आदि विषयों को लेकर गिरधर कविराय ने मानसिक नीति वचन करें हैं जिस कारण यह लोकप्रिय रहे हैं।


2.  कमरी थोरे दाम...................... बड़ी मर्यादा कमरी ।।

क) कमरी एक साधारण सा हाथ से बना हुआ कंबल होता है। कमरी थोड़े से पैसों में मिल जाती है लेकिन उसके लाभ बहुत होते हैं। खासा, मलमल और वास्ता जैसे मूल्यवान कपड़ों की धूल पानी आदि सुरक्षा कमरे में लपेट कर की जा सकती है। कपड़ों को उस में बांधकर गठरी बनाई जा सकती है जिससे सारे कपड़े एक ही जगह पर सिमट जाते हैं और उसे आसानी से ले जाया जा सकता है। बरात पड़ने पर उसे आड़ में बिछा कर सोया जा सकता है। कमरी ओड़ने व बिछाने के काम आता है।
 
ख) कमरी को खासा, मलमल और वाफ्ता जैसे मूल्यवान और कीमती कपड़ों में लपेट कर उसे धूल, पानी से उसकी रक्षा की जा सकती है। इस प्रकार कम ही मूल्यवान व क्योंकि वस्त्रों को गंदगी से बचाकर उनकी मांग रखती है।

ग) कमरी के बहुत से उपयोग होते हैं कमरे को खासा मलमल और वास्ता आदि मूल्यवान कपड़ों में लपेट कर उसे दूध गंदगी पानी आदि से बचाया जा सकता है । कपड़ो को उसमे बाँधकर एक गठरी बनाई जा सकता है। कमरी आढ़ने और बिछाने के भीग काम आती है। रात में उसे झाड़ में बिछाकर सोया जा सकता है।

घ) प्रस्तुत कुंडलिया में कवि ने सुंदर ढंग से हमारे दैनिक जीवन की किया शैली की व्यवस्था की है। वही कह रहे है कि कमरी बहुत ही कम पैसों में मिल जाती है परंतु इसके फायदे बहुत है। खासा, मलमल और वाफ्ता जैसे मूल्यवान कपड़ो को धूल, पानी आदि से रक्षा करती है। कमरी उनका मान - सम्मान बनाए रखती है। कपड़ो को एक गठरी में बांधकर एक जगह से दूसरी जगह को जाया जा सकता है। रात को उसके झाड़ कर बिछाया जा सकता है और आराम से सोया जा सकता है। 

३.  गुन के ग्राहक...................... गुन के ।

क) प्रस्तुत कुंडलिया के लेखक कौन हैं ? उनका जीवन परिचय पाँच पंक्तियों में दीजिए ।
क) प्रस्तुत कुंडलिया के लेखक गिरिधर कविराय जी है । गिरिधर कविराये जी का जन्म सन् 1713 में हुआ था। यह रितिकाल के कवि है। इन्होंने अपने  नीतिपरक कुंडलियां से संसार के प्रत्येक व्यक्ति को सद्व्यवहारी और सद्वयक्ति बनने की प्रेरणा दी है। इनकी भाषा सरल, सरस और फलापोर्ण है। इन्होंने सीधी सादी भाषा में तद्यपूर्ण ढंग से अपनी कुंडलियां की रचना की है।

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Akshat Singh

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