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1. ऐसो को ......... कृपानिधि तेरो ।।
(क) प्रस्तुत पद के लेखक कौन हैं? वह किसके उपासक थे तथा किस प्रकार की भक्ति को महत्त्व देते थे?
Ans. प्रस्तुत पद के कवि तुलसीदास जी है। वह राम के उपासक थे। प्रस्तुत पदो में उन्होंने राम के गुण गाए।
(ख) गीध और सबरी कौन थे? कवि के अनुसार भगवान् राम ने उनका उद्धार किस प्रकार किया?
Ans. गीध से कवि का संकेट गिद्धराज जाटायू से है और 'सबरी' अर्थात् शबरी एक बनवासी जाति शबर की महिला थी। श्रीराम ने गीध (जटायू) और शबरी (भीलनी) को वह परमगति प्रदान की, जो गति बड़े-बड़े मुनियों को योग और वैराग्य जैसे अनेक यत्न करने पर भी प्राप्त नहीं होती।
(ग) भगवान राम ने विभीषण के प्रति किस प्रकार उदारता दिखाई?
Ans. जो संपत्ति रावण ने अपने दस सिर चढ़ाकर भगवान शिव से प्राप्त की थी वह भगवान राम ने बड़े संकोच के साथ विभीषण को दे दी दो। इस तरह से भगवान राम ने विभीषण के प्रति उदारता दिखाई।
(घ) 'ऐसो को उदार जग माही। बिनु सेवा जो द्रवै दीन पर राम सरिस कोउ नाहीं।।' इन पंक्तियों की व्याख्या कीजिए ।
Ans. तुलसीदास जी कहते है की इस संसार में भगवान राम जैसा कोई भी उदार नहीं है। श्री राम ही ऐसे हैं जो दीन - दानियों पर बिना किसी सेवा के दया, दिखाते हैं।
2. जाके प्रिय न राम ......... हमारो ।।
(क) तुलसीदास प्रस्तुत पद में किन्हें त्यागने के लिए कह रहे हैं और क्यों?
Ans. तुलसीदास जी कह रहे हैं की जिस व्यक्ति को सिया और राम प्यारे नहीं है, वह चाहे कितना ही तुम्हारे करीब क्यों न हो उसे बहुत बड़ा दुश्मन मानूकर त्याग देना चाहिए क्योंकि रामभक्ति करने से सबका सुहित ही होगा। उन्होंने कई उदाहरण भी दिए है जैसे मठलाव ने अपनी भक्ति का विरोध करने के कारण अपने पिता हिरण्यकशिपु की आज्ञा का उल्लंघन किया था आदि।
(ख) 'अंजन कहा आँख जेहि फूटे' कवि ने इस वाक्यांश का प्रयोग क्यों किया है? समझाकर उत्तर दीजिए ।
Ans. तुलसीदास जी कहते हैं कि और अधिक क्या । कहें? ऐसे सुरूमें को आँख में लगाने से क्या लाभ जिससे आँख ही फूट जाए? अर्थात् राम और सीता के विरोधी व्यक्तियों से प्रेम करने से हानि ही होती है। कोई लाभ नहीं मिलता
(ग) 'मुद मंगलकारी' किन्हें कहा गया है? राजा बलि ने अपने गुरु का परित्याग क्यों और कब किया?
Ans.
(घ) प्रस्तुत पद का केन्द्रीय भाव अपने शब्दों में लिखिए।
Ans.